उत्कर्ष शिशुगृह

शारदा विद्या निकेतन के पास, बसेरा कॉलनी, मौजे मलकपुर, अकोला

आप सभी “उत्कर्ष शिशुगृह ” के कार्य से परिचित ही नहीं अपितु आपके आशीर्वाद एवं सहकार्य से संस्था ने आठवे वर्ष में प्रवेश किया है। 

समाज में उपेक्षित, असहाय्य परिस्थिति में जन्मे नवजात शिशुओं को तथा जिन्हे अपने अस्तित्व की पहचान नहीं ऐसे छत्रविहीन बालकों  को अपनत्व देकर ममता के आँचल से उनका पालन पोषण करने का कार्य यहाँ इस संस्था में अविरत कर्तव्यनिष्ठा से किया जाता है।

० से ६ वर्ष तक की आयु के शिशुओं का बालकल्याण समिति द्वारा पालन पोषण एवं अकोला और वाशिम जिल्हे से दत्तक विधान करने की मान्यता “उत्कर्ष शिशुगृह ” को प्राप्त है। अभी तक ८६ बालको का यशस्वी पुनर्वसन दत्तक विधान द्वारा हुआ है।  निराधार, निराश्रीत  बच्चो का संगोपन एवं उनका भविष्य ‘स्वर्णिम’ करने का प्रयास यह हमारा सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय कर्त्तव्य है।

दत्तक विधान – संस्था में पलनेवाला शिशु गोद  देने में सक्षम होने की निश्चित , सुशिक्षित ,सुसंस्कृत तथा ठीक ढंग से पालन करनेवाले परिवार से मिलया जाता है।  न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण क्र दत्तक विधान की प्रक्रिया कियी  जाती है।  अपितु गोद लिए परिवार  संस्था निरंतर संपर्क में रहती है। 

संस्था की विशेषताएँ

  • अद्यावत वैद्यकीय सुविधा
  • ममता से पालनपोषण करने वाली दे माँ
  • बालसंस्कार केंद्र  
  • गर्भ संस्कार केंद्र
  • गर्भवती कुमारीमाता निवास केंद्र

संस्था को प्राप्त पुरस्कार

१)  नागपुर  की दिनदयाल संस्था के  ओर से दीनदयाल पुरस्कार। 

२) नटश्रेष्ठ  निळु फुले आर्ट फाउंडेशन की ओर से राज्यस्तरीय ‘समाजवैभव ‘ पुरस्कार।

A Project of World Hindu Council of America VHPA

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